जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद प्रदेश में ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) के खिलाफ सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन तेज कर दिया है.
मंगलवार को लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के तीन सरकारी कर्मचारियों के आतंकवाद से जुड़े होने के आरोप में बर्खास्त कर दिया है. आरोप है कि ये तीन लोग पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैबा (LeT) और हिजबुल मुजाहिद्दीन (HM) जैसे आतंकी संगठन के लिए काम करते थे.
बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में कांस्टेबल मलिक इशफाक नसीर, स्कूल शिक्षक ज़ाज़ अहमद और सरकारी मेडिकल कॉलेज में जूनियर असिस्टेंट वसीम अहमद खान शामिल हैं. ये तीनों फिलहाल आतंकवाद से जुड़े मामलों में जेल में बंद हैं.
एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया है कि ये लोग आतंकवादियों को मासूम नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमला करने में मदद किया करते थे. पुलिस बल में आतंक को मदद करने वाले लोग राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए बड़ा खतरा है.
मलिक इशफाक नसीर (पुलिस कांस्टेबल)
मलिक इशफाक नसीर को 2007 में जम्मू-कश्मीर पुलिस कांस्टेबल के पद पर भर्ती किया गया था. 2018 में मलिक के भाई को सुरक्षाबलों ने एक एनकाउंटर में मार गिराया था. वह लश्कर-ए-तैयबा से ट्रेनिंग ले चुका था. मलिक पर आरोप है कि वह लंबे समय से आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है और पुलिस विभाग में रहते हुए शक से बचता रहा.
अजाज अहमद (शिक्षक, स्कूल शिक्षा विभाग)
अज़ाज़ अहमद, जो 2010 में शिक्षक नियुक्त हुए थे, हिज्बुल मुजाहिद्दीन के साथ जुड़कर हथियार, गोला-बारूद और नशीली दवाओं की तस्करी में सक्रिय थे.
एक पुलिस जांच के दौरान अज़ाज़ की गाड़ी से हथियार और पाकिस्तान के आतंकी संगठन के पोस्टर बरामद हुए.
वसीम अहमद खान (जूनियर असिस्टेंट, सरकारी मेडिकल कॉलेज श्रीनगर)
वसीम अहमद खान की आतंकवादी कनेक्शन 2018 में सामने आई थी. आरोप है कि वह 2018 में पत्रकार शुजात भुख़ारी और उनके दो सुरक्षाकर्मियों की हत्या की साजिश में शामिल था.